हर साल 14 अप्रैल को देश भर में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती (Ambedkar Jayanti 2022) मनाई जाती है
बाबा साहेब देश के एक ऐसे शख्स थे जिनकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती. उन्होंने भारत के संविधान निर्माण में एक पिता की भूमिका निभाई है
वे हमेशा शोषितों के लिए लड़ते रहे और जातिवाद को चुनौती देते रहे है. बचपन से ही उन्हें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा. स्कूल में छुआछूत और जाति-पाति का भेदभाव झेलना पड़ा
डॉ. भीमराव अंबेडकर की 131वीं जयंती डॉ. भीमराव अंबेडकर यानी डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था
उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. दलित परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था.
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने जीवन के हर पड़ाव पर संघर्षों को पार करते हुए सफलता प्राप्त की, जो हर किसी के लिए किसी प्रेरणा स्रोत से कम नहीं है. इस साल उनकी 131वीं जयंती मनाई जा रही है.
1947 में अंबेडकर भारत सरकार में कानून मंत्री बने और भारत के संविधान निर्माण में एक अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 1951 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने दलितों के साथ हो रहे शोषण के कारण 1956 में अपने 20,000 अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। 1956 में ही देश ने अपने सपूत डॉ भीमराव अंबेडकर को खो दिया।