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SEBI क्या है और इसके कार्य क्या है

SEBI  क्या है और इसके कार्य क्या है what is SEBI in hindi जैसा की आपसभी जानते है SEBI की स्थापना का मुख्य उदेश है भारतीय शेयर बाजार के कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाना । तो चलिए आज के पोस्ट में हम जानेगे SEBI क्या है और इसके कार्य क्या है ।

SEBI क्या है ? 

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भारतीय प्रतिभूति व विनियामक बोर्ड (SEBI)

शेयर बाजार में चलने वाले व्यापक व वृहद् कारोबार के विनियमन व नियन्त्रण हेतु वर्ष 1988 में केन्द्र सरकार द्वारा कानून पास करके एक गैर-सांविधिक संस्था के रूप में भारतीय प्रतिभूति व विनियामक बोर्ड की स्थापना की गई।

30 जनवरी, 1992 को एक अध्यादेश द्वारा इस संस्था को वैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया। सेबी (SEBI, Securities and Exchange Board of India) का मुख्यालय मुम्बई में है तथा कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई में इसके क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए गए हैं।

सेबी की संरचना

सेबी का सम्पूर्ण प्रबन्धन 6-सदस्यों की देख-रेख में होता है, जिसका अध्यक्ष किसी विशिष्ट योग्यता प्राप्त व्यक्ति को केन्द्र सरकार द्वारा बनाया जाता है।

सेबी के दो सदस्य कानून (Law) व वित्त के विशेषज्ञ होते हैं तथा भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों में से चुने जाते हैं।

सेबी की वर्ष 1988 में प्रारम्भिक पूँजी ₹ 7.5 करोड़ निर्धारित की गई थी, जो इसकी प्रवर्तक कम्पनियों IDBI, ICICI तथा IFCI द्वारा लगाई गई है।

सेबी के कार्य

भारतीय शेयर बाजार को कार्य प्रणाली में पारदर्शिता हेतु सृजित करना सेबी के प्रमुख कार्य हैं

  • यथोचित उपायों के द्वारा प्रतिभूति बाजार को विकसित एवं नियमित करना तथा इस बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
  • म्यूचुअल फण्ड्स की सामूहिक निवेश योजनाओं कापंजीकरण तथा नियमन करना ।
  •  स्वयं द्वारा नियन्त्रित संगठनों को प्रोत्साहित करना।
  • प्रतिभूतियों के इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकना। इनसाइडर ट्रेडिंग शेयर बाजार सम्बन्धित अवैध कार्य हैं, जिसमें किसी कम्पनी के कर्मचारी या कोई सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा आन्तरिक सूचनाओं का उपयोग करके ट्रेडिंग की जाती है।
  • प्रतिभूति बाजार से सम्बन्धित अनुचित व्यवहार की समाप्ति करना।
  • स्टॉक एक्सचेन्जों सहित किसी भी प्रतिभूति बाजार के व्यवसाय को नियन्त्रित करना।
  • प्रतिभूति बाजार से संलग्न संगठनों के कार्य-कलापों का निरीक्षण एवं व्यवस्था सुनिश्चित करना।
  • शेयर ट्रान्सफर एजेण्ट्स, स्टॉक ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स मर्चेण्ट बैंकर्स, ट्रस्टीज, अण्डरराइस, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि के कार्यों का नियमन करना तथा उनका पंजीकरण किया जाना।
  • प्रतिभूति बाजार में संलग्न व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान करना तथा निवेशकों की शिक्षा को प्रोत्साहित करना। –

उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अनुसन्धान कार्य करना।

  1. वर्ष 2002 में सेबी संशोधन अधिनियम के तहत सेबी अब इनसाइडर ट्रेडिंग व निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में जुर्माना लगाने तथा शेयर बाजार को मान्यता प्रदान करने का अधिकार प्रदान कर दिया गया।
  2. विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) के वायदा कारोबार के पश्चात् 31 अगस्त, 2009 से भारत में ब्याज दरों का वायदा कारोबार भी प्रारम्भ हो चुका है। इससे ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव से सुरक्षा निवेशकों को प्राप्त हो सकेगी। MCap अर्थात् मार्केट केपिटलाइजेशन का तात्पर्य कम्पनी के सभी शेयरों के सकल बाजार मूल्य से है।

What does SEBI mean to give free rein to directors

सेबी के विभाग

सेबी अपने 20 विभागों के द्वारा भारतीय वित्त बाजार पर नियन्त्रण रखता है। ये विभाग निम्नलिखित हैं ।

  1. Commodity Derivatives Market Regulation Department (CDMRD)
  2. निगम वित्त विभाग (Corporation Finance Department (CFD))
  3. Department of Economic and Policy Analysis (DEPA)
  4. Department of Debt and Hybrid Securities (DDHS)
  5. Enforcement Department – 1 (EFD1)
  6. Enforcement Department – 2 (EFD2)
  7. Enquiries and Adjudication Department (EAD)
  8. General Services Department (GSD)
  9. Human Resources Department (HRD)
  10. Information Technology Department (ITD)
  11. Integrated Surveillance Department (ISD)
  12. Investigations Department (IVD)
  13. निवेश प्रबंधन विभाग (Investment Management Department (IMD))
  14. विधि कार्य विभाग (Legal Affairs Department (LAD))
  15. Market Intermediaries Regulation and Supervision Department (MIRSD)
  16. Market Regulation Department (MRD
  17. Office of International Affairs (OIA)
  18. Office of Investor Assistance and Education (OIAE)
  19. Office of the Chairman (OCH)
  20. Regional Offices (RO’s)

सेबी गाइडलाइन – 1999 में संशोधन

. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 17 जनवरी, 2013 को एम्प्लॉयी स्टॉक ऑप्शन स्कीम (Employee Stock Option Scheme, ESPS) तथा एम्प्लॉयी स्टॉक पर्चेज स्कीम (Employee Stock Purchase Scheme, ESPS) गाइडलाइन्स में संशोधन किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों के लिए लाभदायक योजनाओं का संचालन कर रही थीं।

इन योजनाओं के माध्यम से वित्तीय धोखाधड़ी की प्रवृत्तियों को देखते हुए सेबी ने उन दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। कम्पनियों को अपने कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही लाभदायक योजनाओं की जानकारी सेबी को देना अनिवार्य बना दिया गया है।

सेबी (संशोधन) अधिनियम, 2014

देश की चिटफण्ड कम्पनियों द्वारा जनता से गलत तरीके से धन एकत्र करने अथवा सरकार द्वारा मान्य निर्धारित समय से पहले धन को दोगुना या तिगुना करने की योजनाओं पर नियन्त्रण करने के लिए केन्द्र सरकार ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) अधिनियम, 1992 में संशोधन किया है।

• इस संशोधन के द्वारा सेबी को कम्पनियों, चिटफण्ड योजना संचालकों के कार्यालयों, परिसरों आदि पर छापा मारने, सम्पत्ति तथा दस्तावेजों को जब्त करने का अधिकार दिया गया है। नए प्रावधानों के अन्तर्गत सेबी अपने मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय भी गठित कर सकता है।

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सेबी (संशोधन) विधेयक, 2014 के मुख्य उद्देश्य  

प्रतिभूति कानून संशोधन विधेयक, 2014 के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. यह भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को किसी भी व्यक्ति से सम्बन्धित जानकारी या रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए बुलाने का अधिकार प्रदान करता है।
  2. विधेयक में सेबी के अध्यक्ष को फर्जी योजनाओं के मामलों में तलाशी लेने, खाते सील करने और उन्हें बन्द करने के आदेश देने का प्रावधान है। इसमें सेबी का धन वसूलने के अधिकार का प्रावधान है।
  3. निर्णायक अधिकारी द्वारा लगाए गए जुर्माने को बढ़ाने के लिए बोर्ड को अधिकार है। यह सेबी को मुम्बई में विशेष अदालत के तहत जाँच करने सम्बन्धी अनुसन्धान और जब्ती ऑपरेशन करने की भी शक्ति देता है।
  4. इस विधेयक में सेबी को एक अरब से अधिक मूल्य की सभी धन जमा करने वाली योजनाओं का नियमन करने का अधिकार भी दिया गया है। यह विधेयक समझौते के लिए अधिकार प्रदान करता है।
  5. यह सेबी को विशेष अदालत स्थापित करने का अधिकार प्रदान करता है।

प्रतिभूति कानून (संशोधन) विधेयक, 2014 ने सेबी अधिनियम की धारा 15A-HB में संशोधन किया है और हर एक उल्लंघन के लिए एक न्यूनतम जुर्माने की सिफारिश की है।

सेबी समय समय पर अपनी गाइड लाइन बदलती रहती है तो आज के पोस्ट हमने जाना SEBI जुड़ी  तमाम बाते ।

 

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