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Business Ideas: Low Investment Business Ideas in Hindi | सिर्फ 10000 रुपया लगाकर शुरू करे ऐ खाश बिज़नेस जिससे होगी महीनो की लाखो रूपये की कमाई।

Business Ideas: Low Investment Business Ideas in Hindi | सिर्फ 10000 रुपया लगाकर शुरू करे ऐ खाश बिज़नेस जिससे होगी महीनो की लाखो रूपये की कमाई।अगर आप कृषि से जुड़े व्यापार करने के बारे में सोच रहे हैं तो यह आर्टिकल  आपके लिए है । जी हां आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे एक जबरदस्त बिजनेस आइडिया जिसे करके आप लाखों रुपए प्रतिमाह कमा सकते हैं।

साथ ही एक  सक्सेसफूल बिजनेसमैन की स्टोरी जिसने इस बिजनेस को शुरू कर के कमा रहे हैं महीनों के लाख रुपया । तो यदि आप भी इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं तो आप भी कमा सकते हैं महीनों के लाखों रुपए हर महीने तो बस बनी रहे हमारे इस पोस्ट में और जानते हैं ऐसा कौन सा बिजनेस है जिससे शुरू करके आप महीनों का लाखों रुपया कमा सकते हैं सिर्फ ₹10000 के इन्वेस्टमेंट से ।

प्राचीन भारत से से लेकर आधुनिक भारत भारत का इतिहास मसाला के लिए जाना जाता है और यह विश्व प्रसिद्ध है जिसके कारण भारत को गुलाम तक बनाया गया ।जी हां हम बात कर रहे हैं कृषि पर आधारित काली मिर्च की खेती करके आप महीनों का लाख रुपया कमा सकते हैं . जैसा  कि आप सभी जानते हैं काली मिर्च जिसका उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में हर घर में सुबह शाम प्रयोग किया जाता है, सब्जी के रूप में या आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में काली मिर्च का उपयोग अधिक मात्रा में की जाती है आज जिस तरह से होटल इंडस्ट्री बूम कर रही है उसे देखते हुए मसाले की काफी मांग बढ़ती जा रही है चाहे घर हो या रेस्टोरेंट हो काली मिर्च की मांग काफी देखने को मिलता है।

आप सोच सकते हैं यह अपने आप में कितनी बड़ी इंडस्ट्री है, कितनी बड़ी मार्केटप्लेस है जी हां दोस्तों यदि आप भी काली मिर्च की खेती करते हैं तो काफी ज्यादा मुनाफा करके पैसा कमा सकते है। काली मिर्च की खेती कर आज किसान भाई लाखों रुपया कमा रहे हैं हर महीने . हम ऐसे ही एक किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने काली मिर्च की खेती कर लाखों रुपया कमा रहे हैं और अपने गांव के लोगों को रोजगार भी दे रहे है ।

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ऐ कहानी है मेघालय के रहने वाले Nanadho mark  की  जिसने 5 एकड़ की जमीन पर काली मिर्च की खेती की पर आज के डेट में फिलहाल यह बिजनेस बहुत अधिक उन्हें मुनाफा दे रहे। मारक  काली मिर्च की खेती की शुरुआत मात्र ₹10000  दस हजार रूपये से की थी जिसे आज के डेट में लाखों रुपया कमा रहे हैं शुरुआती दौर में उन्होंने ₹10000 में 10000 पौधे लगाएं थे । साल दर साल पौधे की संख्या बढ़ते हैं और काली मिर्च की पैदावार बढ़ता गया जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ ऐसे तो उनका घर मेघालय के गारो हिल्स पूर्वी पहाड़ी पर एक जंगली इलाका पड़ता है यदि कभी भी आप उस एरिया से गुजरते हैं तो आपको गुजरने पर मसालों की खुशबू की सुगंध बहुत दूर तक जाती है।

मारक कहते हैं कि हमने पौधे में हमेशा जैविक खाद का प्रयोग किया, गोबर की मात्रा और प्रकीर्ति कम्पोट से  ताकि एक प्राकृतिक वातावरण कायम  हो सके जिससे मुझे काफी अच्छा  पैदावार प्राप्त होता है। जिससे बेच कर महीनों की  लाख रुपया कमा रहे हैं और हम से जुड़े लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा पा रहे है । उनका कहना है कि और भी लोग यदि इस कृषि को करने के लिए उत्सुक है तो हम अपनी तरफ से हर हमेशा उनकी सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।

मारक के उत्साह और सक्सेस देखकर केंद्र सरकार ने उन्हें पदम श्री पुरस्कार से भी नवाजा है . उन्हें पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । साल 2019 में उन्होंने अपने बागान से 19 लाख रुपए की काली मिर्च का उत्पादन किया है उनकी यह कमाए दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। भारत सरकार ने नानदर बी. मारक  की खेती के क्षेत्र में मेहनत को देखते हुए काफी सराहना किया है और दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं जिसके चलते केंद्र सरकार ने उन्हें पदम श्री से सम्मानित भी किया है ।

Table of Contents

काली मिर्च की खेती कैसे करें ? जाने स्टेप बी स्टेप ।

काली मिर्च की खेती करना आसान है। इसके लिए कोई विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। कोई भी किसान इसकी खेती कर सकता है। यदि इसकी जैविक तरीके से खेती की जाए तो काफी अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।

काली मिर्च की बुवाई के लिए भूमि व जलवायु व तापमान की जानकारी ।

काली मिर्च की खेती के लिए लाल लेटेराइट मिट्टी और लाल मिट्टी उत्तम मानी जाती है। जिस भूमि में काली मिर्च की खेती की जाती है उस खेत की मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता होनी चाहिए। भूमि का पी. एच. मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए। इसके लिए हल्की ठंड वाली जलवायु उत्तम होती है। इसके लिए न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस होना आवश्यक है। इससे नीचे के तापमान में इसका पौधा बढ़ोतरी नहीं कर पाता है।

काली मिर्च के रोपण का उचित समय कब होता है ।

कलम द्वारा इसका रोपण सितंबर माह के मध्य में किया जाता है। रोपण करने के बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।

काली मिर्च का रोपण कैसे करनी चाहिए ।

काली मिर्च के पौधे के विस्तार करने के लिए कलमों का उपयोग किया जाता है। इसकी एक या दो कलमों को काटकर रोपित किया जाता है। काली मिर्च के कलमों को एक कतार में लगाना चाहिए। कलमों को लगाते समय इनके बीच की दूरी 8 – 8 फिट का ध्यान रखना चाहिए ताकि इसे फैलने के लिए उचित स्थान मिल सके। एक हेक्टेयर भूमि पर 1666 पौधे होने चाहिए। काली मिर्च की बेल चढ़ाई जाती है। यह ऊंचे पर ये 30 से 45 मीटर तक की ऊंचाई पर चढ़ जाते है। लेकिन इसके फलों को आसानी से लेने के लिए इसकी बेल को केवल 8 से 9 मीटर की ऊंचाई तक ही बढऩे दिया जाता है। काली मिर्च का एक पौधा कम से कम 25 से 30 साल तक फलता-फूलता है। इसकी फसल को कोई छाया की जरूरत नहीं होती है।

खाद व उर्वरक का रखे विशेष ध्यान ।

  • खाद की मात्रा  5 किलोग्राम की मात्रा को मिलाना चाहिए। भूमि में पी. एच. मान के अनुसार अमोनिया सल्फेट और नाइट्रोजन को मिलना चाहिए। इसकी फसल में 100 ग्राम पोटाशियम, 750 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट की मात्रा को भूमि में मिलाना चाहिए। जिस भूमि एम एसिड होता है। उसमें 500 ग्राम डोलोमिटिक चूना को 2 साल में एक बार जरूर प्रयोग करना चाहिए।
  • काली मिर्च की जैविक खेती में परंपरागत प्रजातियों का इस्तेमाल होता है। जो फसल को कीटों, सूत्रकृमियों तथा रोगों से बचाव करने में समर्थ होती हैं। क्योंकि जैविक खेती में किसी भी प्रकार का कृत्रिम रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक या कवकनाशक का उपयोग नहीं होता है। इसलिए उर्वरकों की कमी को पूरा करने के लिए फार्म की सभी फसलों के अवशेष, हरी घास, हरी पत्तियां, गोबर, तथा मुर्गी लीद आदि को कंपोस्ट के रूप में उपयोग करके मृदा की उर्वरता उच्च स्तर की बनाते हैं।
  • इन पौधों की आयु के अनुसार इनमें एफ.वाई.एम. 5-10 कि. ग्राम में प्रति पौधा केंचुआ खाद या पत्तियों के अवशेष (5-10 कि.ग्राम प्रति पौधा) को छिडक़ा जाता है। मृदापरीक्षण के आधार पर फॉस्फोरस और पोटैशियम की न्यूनतम पूर्ति करने के लिए पर्याप्त मात्रा में चूना, रॉक फॉस्फेट और राख का उपयोग किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त उर्वरता और उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए ऑयल केक जैसे नीम केक (1 कि.ग्राम / पौधा ), कंपोस्ट कोयर पिथ (2.5 कि. ग्राम/पौधा) या कंपोस्ट कॉफी का पल्प ( पोटैशियम की अत्यधिक मात्रा ), अजोस्पाइरियलम तथा फॉस्फेट सोलुबिलाइसिंग जीवाणु का उपयोग किया जाता है। पोषक तत्वों के अभाव में फसल की उत्पादकता प्रभावित होती है। मानकता सीमा या संगठनों के प्रमाण के आधार पर पोषक तत्वों के स्त्रोत खनिज / रसायनों को मृदा या पत्तियों पर उपयोग कर सकते हैं।

कब- कब करें सिंचाई काली मिर्च की ।

इसकी खेती वर्षा पर आधारित है। बारिश नहीं होने की अवस्था में इसकी हल्की सिंचाई करनी चाहिए व आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। इसके रोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। उसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई की जा सकती है।

कीट व रोग प्रबंधन का रखे ख्याल ।

  • जैविक खेती में रोगों कीटों, सूत्रकृमियों का प्रबंधन और जैव कीटनाशक, जैव नियंत्रण कारक, आकर्षण और फाइटोसेनीटरी उपायों का उपयोग करके किया जाता है। 21 दिनों के अंतराल में नीम गोल्ड (0.6 प्रतिश ) को छिडक़ा जाता है, यह जुलाई से अक्टूबर के मध्य छिडक़ना चाहिए। इससे पोल्लू बीट को भी नियंत्रण किया जा सकता है। शल्क कीटों को नियंत्रण करने के लिए अत्यधिक बाधित शाखाओं को उखाड़ कर नष्ट कर देना तथा नीम गोल्ड (0.6 प्रतिश) या मछली के तेल की गंधराल (3 प्रतिशत) का छिडक़ाव करना चाहिए।
  • कवक द्वारा उत्पन्न रोगों का नियंत्रण ट्राइकोडरमा या प्सयूडोमोनस जैव नियंत्रण कारकों को मिट्टी में उचित वाहक मीडिया जैसे कोयरपिथ कंपोस्ट, सूखा हुआ गोबर या नीम केक के साथ उपचारित करके किया जा सकता है। साथ ही अन्य रोगों को नियंत्रित 1 त्न बोर्डियो मिश्रण तथा प्रति वर्ष 8 कि.ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से कॉपर का छिडक़ाव करके कर सकते हैं।

काली मिर्च के पकने का सही समय व उत्पादन क्या है ।

काली मिर्च के गहरे रंग के घने पौधे पर जुलाई महीने के बीच सफेद और हल्के पीले फूल निकलते है। जनवरी से मार्च के बीच में फल पककर तैयार हो जाते है। फल गोल आकार में 3 से 6 मिमी व्यास के होते है। सूखने पर हर एक पौधे में से 4 से 6 किलोग्राम गोल काली मिर्च प्राप्त हो जाती है। इसके हर एक गुच्छे में 50 से 60 दाने रहते है। पकने के बाद इन गुच्छों को उतारकर भूमि में या चटाईयां बिछाकर रख दिया जाता है। इसके बाद हथेलियों से दानों को रगडक़र इलाज किया जाता है। दानों को अलग करने के बाद इन्हें 5 या 7 दिन तक धूप में सुखा दिया जाता है। जब काली मिर्च के दाने पूरी तरह से सूख जाते है तो इन पर सिकुड़ जाती है और इस पर झुरियां पड़ जाती है। इन दानों का रंग गहरा काला हो जाता है। इस अवस्था में यह काली मिर्च बाजार में बेचने के लिए तैयार हो जाती है।

सफेद काली मिर्च त्यार कैसे करे ।

सफेद काली मिर्च तैयार करने के लिए पकी हुई लाल काली मिर्च को 7 से 8 दिनों के लिए पानी मे भिगोकर रख दिया जाता है, जिसके बाद उसका बाहरी कवर हट जाता है, और को अंदर से सफेद रंग की निकलती है इसके बाद उसे सूखा लिया जाता है। काली मिर्च और सफेद मिर्च की अलग अलग पैकिंग की जाती है। इसकी पैकिंग के लिए साफ सुथरा मटेरियल इस्तेमाल करना चाहिए और प्लासिटक के बैग का इस्तेमाल काम करना चाहिए। काली मिर्ची खराब न हो इसके लिए इसे पूर्णत: सूखा कर ही इसका भंडारण करना चाहिए।

काली मिर्च के उत्पादन में ध्यान देने वाली आवश्यकत बातें को ध्यान रखना चाहिए ।

काली मिर्च के फल को तोडऩे के बाद विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाएं जैसे थ्रेसिंग, उबालना, सुखाना, सफाई, ग्रेडिंग तथा पैकिंग की जाती है। यह सभी बहुत ध्यान से की जानी चाहिए। काली मिर्च की गुणवत्ता बनी रहे इसके लिए काफी सावधानी बरतनी चाहिए। सभी प्रक्रिया अच्छे से होगी तो ही मिर्ची की गुणवत्ता सही बनी रहेगी।
थ्रेसिंग-  इसमें परंपरागत विधि द्वारा काली मिर्च की बोरियों को स्पाइक से किसान अपने पैरों से कुचलकर अलग करते हैं। यह बहुत ही अंशोधित, धीमी तथा अस्वस्थ्यकर विधि है। परन्तु आज कल काली मिर्ची को स्पाइक से अलग करने के लिए 50 किलो ग्राम प्रति घंटा से 2500 किलोग्राम प्रति घंटा की क्षमता वाले थ्रेसर का प्रयोग किया जाता है।

काली मिर्च की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए क्या करें उपाय।

मिर्च की गुणवत्ता को बढ़ाने के किए इसे एक मिनट तक उबले पानी मे डालकर निकल लिया जाता है। जिससे सूखने के बाद सभी काली मिर्ची के एक जैसे रंग की हो जाती है। इससे सूक्ष्मजीवों का भी नाश होता है। 3 से 4 दिन बाद जब काली मिर्ची सूखती है, इसके बाद इसका बाहरी कवर हट जाता है, और गंदगी भी दूर हो जाती है।

काली मिर्च को सही तरिके से  सुखाना चाहिए ।

  • जब काली मिर्ची को तोड़ते है तो इसमें 65 से 70 प्रतिशत तक पानी होता है। और इसे सुखाने के बाद 10 प्रतिशत तक रह जाता है। इसे सुखाते समय फनोलेस एन्जाइम का उपयोग करने से वातावरणीय ऑक्सीजन द्वारा एन्जाइम और फिनोलिक यौगिकों का ऑक्सीकरण के कारण हरी काली मिर्च का रंग काला हो जाता है। पहले इसे सूरज की धूप में ही सुखाया जाता था।
  • यदि इसमें 12 प्रतिशत से अधिक पानी रह जाता है तो इसके सडऩे की समस्या रहती है। जो कि मानव शरीर को नुकसान पहुंचाती है। काली मिर्च की लगभग 33-37 प्रतिशत सूखी उपज प्राप्त होती है। मिर्च को सुखाने के लिए यांत्रिक ड्रायर भी मिलते हैं जो बिजली चलते हैं। इसका भी उपयोग किया जा सकता है।

ग्रेडिंग –  इसके बाद ग्रेडिंग की प्रकिया होती है जिसमें काली मिर्च को फटकर साफ किया जाता है । जिससे सारी गंदगी उड़ कर बाहर चली जाती है। और काली मिर्च अच्छे से साफ हो जाती है।

पैकिंग –  ग्रेडिंग की प्रकिया के बाद काली मिर्च की पैकिंग की जाती है जिसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जिसमें भंडारण या पैकिंग किया जाना है वह वायुरोधी होना चाहिए ताकि काली मिर्च की गुणवत्ता बनी रहे।

कितनी होती है पैदावार और कितनी होगी कमाई महीनो की ।

काली मिर्च की एक झाड़ से लगभग दस हजार रुपए की आमदनी कर सकते है और इसकी खेती में किसानों को ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। गत वर्ष में घरेलू बाजार में काली मिर्च के दाम 400 रुपए प्रति-किलोग्राम के आसपास था। अब यह बाजार में 420 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है। हम यदि काली मिर्च के 400 झाड़ लगाते हैं तो हमें सालाना 40 से 50 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।

 दोस्तों मै उम्मीद करता हु की  ऐ आर्टिक्ल आप के लिए हेल्प फुल हो । पसंद आय तो कमेंट कर के जरूर बताय । आप सभी को मेरी तरफ से धन्यवाद इतनी कीमती वक्त इस पोस्ट को पढ़ने में देने के लिए।

 

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