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बॉन्ड क्या होता  है

बॉन्ड क्या होता  है ? और यह कितने प्रकार के होते है  

बॉन्ड क्या होता  है। हेल्लो दोस्तों , स्वागत है आपका हमारी एक और नई पोस्ट के साथ , आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले है  बॉन्ड क्या है ? ( What Is Bond ) , और यह कितने प्रकार के होते है ? ( Types of Bond ) तथा इसको  कैसे ख़रीदा   जाता है ?  इन सब बातो को विस्तार से  जानेंगे इस पोस्ट में तो आइये शुरू करते है  BOND kya hota hai 

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बॉन्ड क्या होता  है

जिस प्रकार से आप शेयर बाजार में अपने पैसे निवेश करके शेयर खरीदते है ठीक उसी प्रकार आप किसी कंपनी या सरकार को पैसे उधार देकर बॉन्ड खरीदते है । अर्थार्त हम कह सकते है कि बॉन्ड एक प्रकार का ऋणपत्र होता है जिसमे निवेशक किसी कंपनी या सरकार को एक निश्चित समय के लिए पैसे उधार देता है । इसमें आपके द्वारा ख़रीदे गए बॉन्ड पर कितना प्रतिशत ब्याज मिलेगा यह पहले से ही निश्चित होता है या फिर इसमें एक तय फोर्मुले के आधार पर ब्याज दर में बदलाव भी हो सकता है ।

बाजार में निवेश करने के लिए निम्न  प्रकार के बॉण्ड्स उपलब्ध हैं।

एक निवेशकर्ता को निवेश करने से पूर्व बॉण्ड्स के विभिन्न पहलुओं और विशेषताओं को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। यह इसलिए है क्योंकि कुछ बॉण्ड्स तो ऐसे हैं जिनकी आय पूर्णतः कर मुक्त रहती है। कुछ ऐसे भी बॉण्ड्स हैं जिन पर ब्याज की राशि बहुत कम मिलती है जैसे लगभग 5.5 प्रतिशत प्रति वर्ष लेकिन उन बॉण्ड्स में निवेश करना पूंजीगत लाभ पर आयकर बचाने के लिए बहुत अच्छा रहता है।

इसलिए निवेशकर्ता का यह कर्त्तव्य है कि वह बॉण्ड् के विभिन्न पहलुओं से भली-भाँती परिचित हो जाए। सभी प्रकार के बॉण्ड्स सम्पत्ति कर से पूर्णतः कर-मुक्त हैं | बॉण्ड्स को उपहार में देने पर कोई उपहार कर या गिफ्ट कर भी नहीं लगता। कुछ इस प्रकार के बॉण्ड् हैं जिनमें निवेश करने से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के अन्तर्गत कटौती प्राप्त होती है। आईय कुछ विशेष प्रकार के बॉण्ड्स की जानकारी प्राप्त करें।

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रिजर्व बैंक के राहत पत्र ( RBI Relief Bonds )

1-3-2003 से रिजर्व बैंक ने इन बॉण्ड् को निकालना बन्द कर दिया है। पहले उच्च आय वाले कर दाताओं के लिए राहत पत्र में निवोश करना बहुत ही अच्छा रहता था। पूर्व में 10 प्रतिशत, 9 प्रतिशत, 8.5 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज वाले बॉण्ड् रिजर्व बैंक के द्वारा जारी किए गए थे। इन बॉण्ड की अवधि 5 वर्ष की रहती है। अभी भी जिन व्यक्तियों के पास पहले से क्रय किए हुए ऐसे बॉण्ड् मौजूद है।

उन्हें इन बॉण्ड्स से होने वाली ब्याज की आमदनी पर कोई भी आयकर नहीं देना होता। यदि ऐसे बॉण्ड् को उनकी मियाद तिथि से पूर्व ही बिक्री कर दिया जाए तो उनसे होने वाले पूंजीगत लाभ के आकलन के लिए मूल्य मुद्रा स्फीति सूचकांक का लाभ प्राप्त नहीं होता। 1-10-1998 से ऐसे बॉण्ड् और अन्य किसी भी प्रकार के बॉण्ड् के अनुदान पर कोई भी अनुदान कर या उपहार कर नहीं लगता।

 

रिजर्व बैंक के बचत बॉण्ड् ( RBI Saving bonds )

बॉन्ड क्या होता  है रिजर्व बैंक ने 1-6-2003 से दो प्रकार के नये बॉण्ड् जारी किए हैं। इन्हें 6.5 प्रतिशत बचत (करमुक्त) बॉण्ड् 2003 तथा 8 प्रतिशत बचत (कर योग्य) बॉण्ड् 2003 कहते हैं। 6.5 प्रतिशत बॉण्ड् की आय पूर्णतः करमुक्त है लेकिन 8 प्रतिशत बचत बॉण्ड् की ब्याज पर कोई करमुक्ति नहीं है। अब 6 72% बांड भी बंद को गए हैं। लेकिन 1-6-2007 से कर-योग्य बांड पर 10,000 रु से अधिक ब्याज होने पर उस पर 10% आयकर (+2% एंव 1% शिक्षा कर) की उद्गम स्थान पर कटौती होगी।

अनिवासी बॉण्ड् ( NRI BONDS )

समय-समय पर सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक की मार्फत अनिवासी भारतीयों के लिए विशेष प्रकार के बॉण्ड्स जारी किए हैं जिन्हें साधारणतः अनिवासी बॉण्ड् या एन. आर. आई. बॉण्ड्स कहते हैं। इन बॉण्ड् पर साधारणतः पूर्ण आयकर मुक्ति प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार का सम्पति कर इन बॉण्ड् पर नहीं लगता। इसी प्रकार उपहार कर से भी यह बॉण्ड मुक्त है। साधारणतः अमेरिकन डालर में ही यह बॉण्ड बिकते हैं। पाउन्ड सटर्लिंग, यूरो, और जापानी येन में भी यह बॉण्ड् जारी किए गए हैं। विदेशों में रहने वाले अनिवासी भारतीयों में यह बॉण्ड् बहुत ही लोकप्रिय हुए थे।

सार्वजनिक क्षेत्र के करमुक्त बॉण्ड्स ( Public Sector Tax-free Bonds )

समय-समय पर कुछ सार्वजनिक प्रतिष्ठिानों ने भी करमुक्त बॉण्ड् जारी किए हैं जिनका ब्याज आयकर अधिनियम के अन्तर्गत पूर्णतः करमुक्त रहता है। बहुत अधिक आमदनी होने पर इस प्रकार के बॉण्ड्स में निवेश करना अच्छा रहता है।

निजी क्षेत्र के बॉण्ड्  ( Private Sector Bonds ) 

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निजी क्षेत्र के द्वारा भी समय-समय पर कुछ बॉण्ड् जारी किए हैं। इस प्रकार के बॉण्ड् पर साधारणतः 6 से 8 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज प्राप्त हो सकता है।

Capital Gains Bonds (पूँजीगत लाभ बॉण्ड् )

बॉन्ड क्या होता  है आयकर अधिनियम 1961 की धारा 54 ई सी के अन्तर्गत कुछ बॉण्ड् पाँच प्रकार के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों द्वारा समय-समय पर जारी किए जाते हैं। जिनमें निवेश करने से दीर्धकालीन पूँजीगता लाभ पर पूर्ण करमुक्ति प्राप्त हो सकती है। इन बॉण्ड् पर ब्याज की दर साधारणतः 5 से 5.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष रहती है। इनकी अवधि साधारणतः 5 वर्ष की होती है किन्तु 3 वर्ष के पश्चात् इनका भुगतान प्राप्त किया जा सकता है।

पाँच प्रकार के सार्वजनिक संस्थान जैसेः नेबार्ड, नेशनल हाइवे ऑथारिटी ऑफ इंडिया, आर. ई. सी., सिडबी, एवं एन. एच. बी. द्वारा इस प्रकार के बॉण्ड् जारी किए हैं। इन बॉण्ड् पर मिलने वाले ब्याज पर उद्गम स्थान पर कटौती नहीं होती। यद्यपि बॉण्ड्स पर मिलने वाली ब्याज की रकम बहुत कम है फिर भी दीर्घकालीन पूँजीगत लाभ पर आयकर बचाने के लिए इन बॉण्ड् में निवेश अच्छा गिना जाता है।

कर निर्धारण वर्ष 2007-2008 से केवल नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया  एंड R . E . C . LI . के 3 वर्षीय बांड्स में निवेश पर ही आयकर कटौती की धारा 54 e  c प्राप्त होगी । इन बांड्स में निवेश की उचतम सिमा 50 लाख रुपया है ।

NOTE – विशेष जानने के लिए आप विकिपीडिया USE कर सकते है निचे लिंक दिया है

https://hi.wikipedia.org/

इस पोस्ट में आप ने जाना बांड क्या होता है । बांड कितने प्रकार का होता है । ए पोस्ट आपलोगो को अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे , मिलते है अगले पोस्ट में ।

 

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