भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत और विभिन्न प्रधान । भारत का संविधान, संविधान बनाने में हमारे संविधान निर्माताओं ने हर विषय को ध्यान में रखते हुए संविधान का निर्माण किया जो मानव जाति के कल्याण और प्राणी जगत, प्रकृति के लिए उपयुक्त सिद्ध हो जो जनकल्याण की भावनाओं को जीवित रखें ऐसे संविधान निर्माताओं को तहे दिल से कोटि- कोटि प्रणाम करते हैं उन्होंने जो कुछ भी योगदान दिया हमारे भविष्य के लिए दिया। चाहे किसी भी देश के संविधान से कुछ ना कुछ लेना पड़ा हो।
जी हां दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की कैसे भारत का संविधान इतना मजबूत और पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान बना । जब संविधान निर्माताओं के द्वारा संविधान लिखी जा रही थी तो उन्होंने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के संविधान को पढ़ा और समझा फिर उसे भारतीय संविधान में जगह दी । तो आगे हम जान जानेंगे की किस किस देश के संविधान का हमारे भारतीय संविधान में योगदान रहा है।
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भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत और विभिन प्रवधान।
अमेरिका के संविधान से
अमेरिका पूरे विश्व में शक्तिशाली देश माना जाता है इसलिए कि अमेरिका का संविधान बहुत ही पावरफुल है तो हमारे भारतीय संविधान में अमेरिकी संविधान से कुछ प्रधान लिए गए जो निम्न है । भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत और विभिन्न प्रवधान।
- प्रस्तावना के शब्द ( हम भारत के लोग )
- मूल अधिकार
- स्वतंत्र न्यायपालिका
- न्यायिक पुनर्विलोकन
- सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटाए जाने की प्रक्रिया
- राष्ट्रपति पर महाभियोग
- लोग जनहित याचिका ( PIL)
- न्यायिक पूर्ण विलोपन प्रणाली
- उपराष्ट्रपति का पद
- वित्तीय आपात
ब्रिटेन के संविधान से
जैसे कि हम सभी जानते हैं भारत 200 वर्षों तक ब्रिटेन का उपनिवेश रहा ऐसे में उनके द्वारा भारत पर शासन जिस कानून के द्वारा किया गया उसे भी भारतीय संविधान निर्माताओं ने अपने संविधान में लागू किया जो निम्न है। भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत और विभिन्न प्रवधान।
- विधि का शासन
- संसदीय शासन प्रणाली
- एकल नागरिकता
- द्विसदनीय व्यवस्था
- विधि निर्माण प्रक्रिया
- सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव जीत का निर्णय
- विधायकों में अध्यक्ष पद की भूमिका
- संसदीय विशेषाधिकार
दक्षिण अफ्रीका के संविधान से
अफ्रीकी संविधान से लिया गया प्रधान का भारतीय संविधान में बहुत ही उपयुक्त मानी जाती है।
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया
- राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन
फ्रांस के संविधान से
- गणतंत्रात्मक व्यवस्था
- स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व का सिद्धांत
आयरलैण्ड के संविधान से
- राज्य के नीति निदेशक तत्व
- राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति
- राज्यसभा में सदस्यों का नामांकन
आस्ट्रेलिया के संविधान से
- समवर्ती सूची,
- व्यापार, वाणिज्य एवं समागम
- स्वतंत्रता सम्बंधी प्रावधान
कनाडा के संविधान से
- सशक्त केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था
- शक्तियों का वितरण तथा अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना
- राज्यों में राज्यपाल की केंद्र द्वारा नियुक्ति
- उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन
- अंधात्मक विशेषताएँ
जापान के संविधान से
- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
जर्मनी के संविधान से
- आपातकालीन उपबंध
रूस के संविधान से
- मूल कर्तव्य
- प्रस्तावना में न्यायिक आदर्श
दोस्तों यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत और विभिन्न प्रधान अनेक है लेकिन जिसमें से भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का है जो भारतीय संविधान के 395 अनुच्छेदों में से लगभग 250 अनुच्छेद ऐसे हैं जो 1935 के अधिनियम से या तो शब्द लिया गया है या फिर उनमें थोड़ा भीत परिवर्तन कर के प्रयोग किया गया है।
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